म आफैनै कहा बाँच्न सक्छुर
कविता: म आफैनै कहा बाँच्न सक्छुर सुरेन्द्र इङ्नाम हिजो आज यो शहर मैला, धैलाले मात्र हैन गुड्ने गाडिहरु र लामा लामा रेलका काला धुवाहरुले जताततै दुगन्धै दुगन्ध फैलिएको छ । सारा जङ्गलहरु फाँडेर ठुला...
कविता: म आफैनै कहा बाँच्न सक्छुर सुरेन्द्र इङ्नाम हिजो आज यो शहर मैला, धैलाले मात्र हैन गुड्ने गाडिहरु र लामा लामा रेलका काला धुवाहरुले जताततै दुगन्धै दुगन्ध फैलिएको छ । सारा जङ्गलहरु फाँडेर ठुला...
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